
लेनदेन और पहुंच वाले किसानों का पंजीयन हो रहा आसान, दलालनुमा लोग घूम रहे तहसील के इर्द गिर्द, प्रशासन की खुली छूट या जानकारी का अभाव, पिसा रहे अबोध किसान।
शासन द्वारा धान खरीदी कार्य प्रारंभ किया जा चुका है और पंजीयन का समय 25 नवम्बर तक अंतिम समय दिया गया है वहीं किसान अपनी फसल का रकबा पंजीयन कराने तहसील का चक्कर काट रहे हैं जिसमें कभी साइबर डाउन रहता है, कभी बाबु नहीं रहता तो कभी साहब नहीं रहते। इस तरह के परेशानी को लेकर किसान रोज तहसील आ रहे हैं। जानकारी के मुताविक यह परेषानी शासन द्वारा लाये गये एग्रीस्टेक के कारण है चूंकि इसमें कईयों किसानों का रकबा दिखा नहीं रहा है जिसमें किसानों को पंजीयन कराने एडी चोटी एक करना पड रहा है। किसान बताते हैं कि एग्रीस्टेक में रकबा दर्ज है या नहीं इसके जानकारी के लिये तहसील आना पड रहा है और लाईन लगाना पड रहा है। बिते कुछ दिनों से कुछ छोटे किसान ऐसे मिले जिन्हे एग्रीस्टेक में अपना रकबा दर्ज है या नहीं इसकी पुश्टी करनी थी जिसके लिये ये पुसौर आ-आकर थक चुके थे। इनके इस दषा को देखते हुये तहसील परिसर में कुछ दलालनुमा लोग थे जिन्हें इनके दुख को देखा नहीं गया और ये किसानों से कहे कि ‘‘500-500‘‘ रूपया लागिही, मैं देख दिहं। पिडित सारे किसानों से ये दलालनुमा व्यक्ति यह राषि लेकर एग्रीस्टेक की पुश्टी की और किसानों ने भी राहत की सांस ली। पुसौर के जनपद के पुर्व उपाध्यक्ष एवं पुर्व विधायक प्रतिनिधि रोहित पटेल जो कि क्षेत्र के बडे किसान भी है इन्हौने बताया कि सरकार ने गिरदावरी और एसटीसी मिलान होने पर ही धान का पंजीयन होगा ऐसा फरमान जारी कर दिया है जिसके लिये बार बार तहसील, पटवारी और लोक सेवा के पास दौडना पड रहा है। ज्ञात हो कि 24 नवम्बर के शाम तक किसानों का भीड तहसील कार्यालय में लगा रहाः कार्यालय के एक कर्मचारी निकिता सिंह किसानों का एक एक करके कम्प्युटर आपरेटर के जरिये नाम चढवा रहे थे जो काफी धीरे था और इस बीच किसानों को दुर्व्यवहार का भी सामना करना पडता था। जानकार बताते है कि तहसील कार्यालय में दक्ष स्टाफ का अभाव है चूंकि ज्यादातर अनुकम्पा वाले हैं और कार्यालय प्रमुख के और अनुकम्पा प्राप्त होने से तहसील का काम धीरे होना लाजिमी है ऐसे स्थिति में शासन प्रशासन के शिर्शस्थ लोगों को समझने की जरूरत है चूंकि इसी कारण यहां दलाल भी पनप रहे हैं।
