रायगढ़, पुसौर। दीपावली जहाँ पूरे देश में माँ लक्ष्मी के पूजन का पर्व माना जाता है, वहीं रायगढ़ जिले के पुसौर क्षेत्र में यह दिन कसेर समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां दीपावली के दिन ‘बड़बड़िया प्रथा’ के अंतर्गत अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने की विशेष परंपरा निभाई जाती है। यह प्रथा ओडिशा के तेली और कसेर समाज में भी प्रचलित है।
इस प्रथा के अनुसार, कसेर समाज के लोग मंदिर के सामने एकत्र होकर, सोल (लकड़ी की छड़ी) में कपड़ा लपेट कर उसमें घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करते हैं। इसके बाद आकाश की ओर मुख करके इस अग्नि को दिखाते हैं, जो पूर्वजों को प्रकाश देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की मान्यता से जुड़ा हुआ है। इस प्रक्रिया को समाजजन बड़े श्रद्धा भाव से निभाते हैं।
एनटीपीसी लारा एच आर विभाग में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत बीपी साहू ने ओडिशा स्थित अपने निवास काला हांडी में इस परंपरा को अपने परिजनों के साथ बड़े धूमधाम से मनाया। उन्होंने इसे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने की एक अनूठी विधा बताया।
पुसौर के वरिष्ठ नागरिक और कसेर समाज के प्रतिष्ठित सदस्य रामेश्वर महाणा ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है। इस अवसर पर एक विशेष प्रसाद ‘गइठा’ भी तैयार किया जाता है, जिसमें उबलते दूध और शक्कर में चावल के आटे के गोल लड्डू बनाए जाते हैं। ठंडा होने पर इसे पूर्वजों को भोग लगाया जाता है।
नगर पंचायत पुसौर के उपाध्यक्ष उमेश साव ने बताया कि “बड़बड़िया प्रथा” अन्य किसी समाज में देखने को नहीं मिलती। अधिकतर समाज पूर्वजों को पितृ पक्ष में ही याद करते हैं, लेकिन कसेर समाज दीपावली के शुभ दिन अपने पूर्वजों को सम्मान देने का विशेष अवसर मानता है। यह परंपरा समाज की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।
